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Shiva Escape From Agra Video
साल 1666 में शिवाजी जी अपने पुत्र संभाजी के साथ औरंगजे़ब से मिलने आगरा गए थे। जब शिवाजी औरंगज़ेब के दरबार मे पहुँचे तो उसने शिवाजी को उचित सम्मान नही दिया जिससे शिवाजी नराज़ हो गए और औरंगज़ेब के दरबार से चले गए। इसके बाद औरंगज़ेब ने शिवाजी को दरबार में आने का न्यौता भेजा पर शिवाजी ने मना कर दिया कि वो कभी भी औरंगज़ेब के सामने पेश नही होगें।
शिवाजी राम सिंह के किले में आराम करने के लिए रूके यहां पर औरंगजे़ब ने उन्हें नज़रबंद कर दिया और सैनिकों का पहला बिठा दिया। शिवाजी ने बचके निकलने के लिए एक तरकीब अपनाईं। उन्होंने बिमार होने का नाटक किया और रोज़ साधु – संतों के लिए मिठाइयों की टोकरियां भिजवाने लगे। पहले तो कुछ दिन पहरेदारों ने टोकरियों की जांच की, पर जब उन्होंने बिना जांच किए टोकरियों को जाने देना शूर कर दिया तो एक दिन शिवाजी और उनका पुत्र मौका पाकर टोकरियों में बैठकर बच कर निकल गए।
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6 मार्च, 1666 को आगरा आए थे छत्रपति शिवाजी छत्रपति शिवाजी 16 मार्च, 1666 को अपने बड़े पुत्र संभाजी के साथ आगरा आए थे। इतिहासकार बताते हैं कि मुगल बादशाह औरंगबेज ने उचित सम्मान न दिया तो शिवाजी ने मनसबदार का पद ठुकरा दिया था। फिर वे राजा जय सिंह के पुत्र राम सिंह के आवास पर रुके। औरंगजेब ने राम सिंह से कहा कि वह अपने साथ शिवाजी को लेकर आगरा किला में आए। कहा जाता है कि शिवाजी नहीं आए।
औरंगजेब इससे नाराज़ हुआ और उसने शिवाजी को नज़रकैद कर दिया और उनपर सैनिकों के पहरे लगा दिये। कुछ ही दिनों बाद [18 अगस्त 1666 को] राजा शिवाजी को मार डालने का इरादा औरंगजेब का था।
शिवाजी ने बिमार होने का बहाना बनाया और अपने अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए साधु – संतो को मिठाइयां भिजवाने लगे। पहले तो कुछ दिन पहरेदारों ने टोकरियों की जांच की, पर जब उन्होंने बिना जांच किए टोकरियों को जाने देना शूरू कर दिया तो एक दिन शिवाजी और उनका पुत्र मौका पाकर टोकरियों में बैठकर बच कर निकल गए।
शिवाजी के फरार होने का पता पहरेदारों को 8 घंटे बाद पता चला, तब तक शिवाजी बहुत दूर निकल चुके थे।
शिवाजी अपने पुत्र के साथ साधु के वेश में मथुरा की ओर निकल पड़े और संभाजी को एक विश्वासी ब्रहाम्ण के यहां छोड़ कर खुद महाराष्ट्र चले गए। उन्होंने संभाजी की मौत की अफवाह फैला दी थी ताकि वो ब्रहाम्ण संभाजी को सुकुशल शिवाजी के पास छोड़ आएं।
जब उन ब्रह्मणों ने संभाजी को शिवाजी के पास पहुँचा दिया तो उन्हें कई ईनाम दिए गए।
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Sir ham KO Chandra guptmory episode 105 ke bad kee kahani dikhane kee krapa kare eske age kee kahani dekhne ko aankhe tarsrahin he
जरूर दिखाएंगे।