शाइस्ता खान पर शिवाजी का हमला – Shaista Khan History in Hindi
सन 1659 में औरंगज़ेब ने शिवाजी पर काबू पाने के लिए अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया। शाइस्ता खां ने 1660 के आरंभ में शिवाजी के विरूद्ध मुहिम शुरू की।
शाइस्ता खां ने अपनी डेढ़ लाख फौज़ लेकर पूरे तीन साल तक शिवाजी के राज्य में लूटमार की और उज़ाड़ कर तबाह कर दिया। उस समय शिवाजी की सेना बहुत कम थी इसलिए शाइस्तां खां का ठीक तरह से मुकाबला नहीं कर पाई।
सन 1663 में जब शिवाजी को पता चला कि शाइस्तां ख़ान अपनी एक लाख फौज़ के साथ पुणे के लाल महल रूका हुआ है तो शिवाजी ने उसे सबक सिखाने की ठान ली। एक बात यह भी ध्यान में रखने लायक है कि शिवाजी ने अपने बच्चपन और जवानी का काफी सारा समय पुणे के लालमहल में ही गुजारा था, इसलिए वो महल के कोने-कोने से वाकिफ़ थे।
6 अप्रैल 1663 के दिन शिवाजी अपने चुने हुए एक हज़ार साथियों के साथ पुणे पहुँच गए। फिर शाम हुई तो शिवाजी महाराज अपने चुने हुए एक हज़ार में से 400 सिपाहियों को लेकर शाइस्तां ख़ान के डेरे की ओर चल पड़े। रास्ते में मिलने वाले पहरेदारों को उन्होंने बताया कि वो मुगल फौज़ के सिपाही ही हैं और अपनी नियुक्ती के संबंध में निर्देश लेने जा रहे है।
शाइस्तां ख़ान के डेरे में पहुँचकर पहले तो उन्होंने कुछ देर आराम किया। रात के समय पहले तो शिवाजी अपने चुने हुए साथियों के साथ शाइस्तां खां के हरम में घुस गए और उसे ढुंढने लगे। शिवाजी के बाहर खड़े साथियों ने पहरेदारों को मार दिया। इतने में मची अफ़रा-तफ़री से शाइस्तां खां सावधान हो गया, पर इतने में शिवाजी शाइस्तां खां के सिर पर पहुँच चुके थे। शाइस्तां ख़ान की बेगमों ने हरम के लैंप बुझा दिए। जब शिवाजी ने शाइस्तां ख़ान पर वार किया तो वो खिड़की से बचकर भाग गया। शिवाजी महाराज ने जोर से उस पर वार भी किया था, लेकिन इससे शांइस्तां ख़ान के हाथों की केवल ऊंगलिया ही कटी थी।
शिवाजी ने अपने साथियों को वापिस जाने का निर्देश दे दिया। मुगल सैनिकों को यह पता ही नही लग पा रहा था कि दुश्मन कहां है, ना ही उन्हें इस बात का पता चला कि शिवाजी के सैनिक कब वापिस चले गए।
शिवाजी के द्वारा इस अचनचेत किए गए हमले में मराठो के सिर्फ 6 सैनिक मरे और कुछ ही घायल हुए, जबकि Shaista Khan के दो बेटों समेत उसके कई सैनिक मारे गए। इसके बाद शाइस्तां ख़ान अपनी पूरी फौज़ लेकर दिल्ली भाग गया और औरंगजेब ने उसे झाड़ लगाई और बंगाल का सूबेदार नियुक्त कर दिया।
शाइस्ता खान की उम्र – Shaista Khan Age
शाइस्ता खान का जन्म 1600 ईस्वी में और उसकी मृत्यु 94 साल की उम्र में 1694 ईस्वी में हुई थी।
1663 में जब शिवाजी ने शाइस्ता खान पर छापामारी हमला कर उसकी उंगलियां काट दी थी तो उस समय उसकी आयु 63 साल थी।