Shivaji And Afzal Khan Story in Hindi

वीर शिवाजी द्वारा अफजल खान का वध | Shivaji And Afzal Khan Story in Hindi

Shivaji And Afzal Khan Story in Hindi

अफ़जल ख़ान बीजापुर की आदिल शाही हुकुमत का बेहतरीन योद्धा था जिसे बीजापुर की सरकार ने शिवाजी के विरुद्ध युद्ध करने के लिए भेजा। अफ़जल से यह कहा गया था कि अगर वो शिवाजी को युद्ध में हरा ना सके तो किसी तरह भी (धोखे से) उन्हें कैद कर ले जा मार दे।

Shivaji And Afzal Khan Story In Hindi

शुरूआती कुछ झड़पो के बाद जब अफ़जल को लगा कि वो शिवाजी से खुल्लम-खुल्ला युद्ध नही कर सकता तो उसने अपने एक राजूदत कृष्णा जी को बातचीत के लिए शिवाजी के पास भेजा। शिवाजी ने कृष्णाजी से बड़े सम्मान से स्वागत किया। शिवाजी कृष्णाजी से एकांत में मिले और हिंदू होने के नाते धर्म के नाम पर उनसे अपील की कि वो अफ़जल के इरादों के बारे में बता दे। कृष्णा जी ने शिवाजी को यह इशारा कर दिया कि अफ़जल कोई धोखा कर सकता है।

10 नवंबर 1659 को दोनो पक्षो में भेंट का दिन तय हुआ। शिवाजी की यह शर्त थी कि वो अफ़जल से तभी मिलेगें जब वो उनकी सुरक्षा की गैरंटी देगा और उनकी मनपसंद जगह पर मिलेगा। अफ़जल ने शिवाजी की दोनो शर्ते मान ली।

शिवाजी महाराज और अफ़जल दोनो की मुलाकात प्रतापगढ़ में हुई थी। शिवाजी को अफ़जल के इरादे के बारे में पता था, इसीलिए उन्होंने अफ़जल ख़ान से मिलने से पहले अपने कपड़ो को नीचे पीठ पर लोहे का एक कवच पहन लिया, अपनी पगड़ी के नीचे लोहे की एक टोपी पहन ली, बाएं हाथ में एक बाघनख पहन लिया जो आसानी से नही दिखाई दे सकता था और अपनी दाईं और कुर्ते के नीचे पतली और तीखी कटार भी छुपा ली।

मुलाकात एक शानदार तंबू में होनी थी जिसे मराठो द्वारा त्यार किया गया था। शिवाजी जब तंबू में पहुँचे तो अफ़जल वहां पर पहले से मौजूद था। अफजल ने शिवाजी को गले मिलाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए, अफ़जल कद में कुछ लंबा था और शिवाजी थोड़े छोटे इसलिए शिवाजी उसके केवल कंधो तक ही आ रहे थे। जैसे ही शिवाजी अफ़जल के गले मिले तो अफजल ने अपने बाएं हाथ से शिवाजी को दबोच लिया और अपनी तलवार निकालकर शिवाजी की पीठ पर दे मारी, पर कवच पहना होने के कारण शिवाजी को ज्यादा चोट नही आई। शिवाजी ने बिना देर करते हुए अपने हाथ में पहले बघनखे से अफ़जल का पेट चीर दिया जिससे अफ़जल की पकड़ ढीली हो गई। इसके बाद शिवाजी ने अपनी कटार अफ़जल के पेट में दे मारी और तंबू के बाहर अपने आदमियों के पास आ गए।

उस समय शिवाजी और अफ़जल दोनो की तरफ से तीन-तीन लोग तंबू के पास मौजूद थे, वो आपस में युद्ध करने लगे। अफ़जल के साथ आए सईद बांदा ने शिवाज के सिर पर तलवार मारी पर कवच पहना होने के कारण शिवाजी को कम ही चोट आई। शिवाजी के साथी ने सईद बांदा का हाथ काट कर उसका कतल कर दिया। इसके बाद शिवाजी ने अफ़जल खान का सिर काट दिया।

दोनो पक्षो में युद्ध चालु हो गया , सिर्फ 10 हज़ार मराठे अपने से तिगुनी फौज पर टूट पड़े। हर हर महादेव के जयकारो के बीच अफ़जल की फौज को संभलने का मौका ही नही मिला। तीन घंटे तक चले युद्ध में अफ़जल ख़ान के 6 हज़ार से ज्यादा सैनिक मार दिए गए और लगभग इतने ही घायल हुए और कई कैद कर लिए गए। कैद में आए बच्चो और औरतो को अगले ही दिन छोड़ दिया गया। अफ़जल के जिन सैनिकों ने माफी मांग ली उन्हें भी जल्द ही रिहा कर दिया गया था।

इस युद्ध में मराठो को बहुत कम नुकसान हुआ था। सिर्फ 1500 मराठा सैनिक ही इस युद्ध में शहीद हुए। अफ़जल ख़ान की सारी सेना का साज़ो समान मराठो के कब्ज़े में आ गया।

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3 Comments

  1. himesh

    The best Veer shivaji maratha Yodha

  2. ram wadmare

    Galat lika hai apne
    Shivaji maharaj par krhusnaji bhaskar ne var kiyatha
    Saiyad bandakoto var karnese
    Payle hi hat tod diyate

  3. ashish baladha

    hello friend,
    please completed chandragupta serial episode 105 to 122 because of serial better than other indian serial. so any reason serial can broad cast, please make new serial same character and broad cast another tv channel.

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